प्राचार्य सन्देश                                   Back

           

कानपुर (दे.) जनपद के पश्चिमी छोर पर औरैया, पुखरायाँ, अकबरपुर एवं यमुना के सुरम्य किनारे मध्य में सस्य स्यामल भूमि वाला यह क्षेत्र अनेकों बुरी गाथाएं अपने आँचल में समेटे हुए फैला है यहाँ संपन्नता एवं विपन्नता का सुन्दर समन्वय है l परन्तु उच्च शिक्षा का सर्वत्र आभाव है इसका एक मात्र कारण उच्य शिक्षा केंद्र का न होना ही है l इस क्षेत्र में जनमानस में उच्च शिक्षा की प्राप्ति के लिये ललक तो हैं परन्तु उच्य शिक्षा केंद्र न होने से उनकी सादपूर्ण नहीं हो पाती है उच्च शिक्षा केंद्र के अभाव में उगते हुए सूर्य के समान उनके बालकों एवं बालिकाओं की प्रतिभा को सूर्यग्रहण लग जाता है l रूप रंग एवं गंध रहित अविकसित कली की भांति ही मुरझा जाते हैं l साधन संपन्न व्यक्ति ही येन-केन प्रकारेण अपने बच्चो को सुदूर नगरों में शिक्षा प्राप्ति हेतु भेज पाते हैं परन्तु निर्धन एवं साधन विहीन व्यक्ति के लिए नगरीय परिवेश में शिक्षा दिला पाना आकाश कुसुम ही है विशेष कर ग्राम्य बालिकाओं के लिए शहरी परिवेश में उच्च शिक्षा प्राप्त करना लोक मर्यादाओं से संघर्ष करना है l ऐसी विषम परिस्थितियों में उनका शैक्षिक विकास अपूर्ण ही है l निर्धन व्यक्ति इस दशा में निराश और संपन्न व्यक्ति उदास है l
            अतः इस क्षेत्र की उच्य शिक्षा के आभाव में जन-मानस की पीड़ा को, उनकी कसक को, उनकी व्यथा को, "देवबृम्हापुर " ग्राम निवासी एवं उत्साही कर्मठ सुधीर प्रतिमा के धनी नव युवक श्री रामअवतार कटियार ने अनुभव किया l उन्होंने ' कर्मणेवाअधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन' के सार को समक्ष रख कर एक महाविद्यालय को संचालित करने की भीष्म प्रतिज्ञा की l तन, मन, धन समर्पित भाव से ग्राम बुधौली में स्थित सात बीघा कृषि भूमि को महाविद्यालय के लिए दान देकर महान त्याग का परिचय दिया l आपने कतिपय व्यक्तियों के सहयोग से एक कार्यकारणी समिति का गठन कर इसी भूमि पर श्री रामअवतार महाविद्यालय का शिलान्यास सन् २० मई १९८७ में किया गया l तबसे अब तक वे अल्प साधनों से अपने लक्ष्य की प्राप्ति में रत हैं l उनके समक्ष एक ओर धनाभाव की खाई है तो दूसरी ओ़र साधन हीनता की उतुंग प्राचीर l परन्तु ' श्रमेव जयते ' का तुमुल उदघोष कर विपन्नता एवं विभिन्न अवरोधों को कुचलते हुए विजय अभियान आरम्भ किया भवन निर्माण कस्थोपकरण, विश्वविद्यालय के मनको की पूर्ति, विद्वान प्रवक्ताओं से छात्र / छात्राओं का पठन-पाठन व साज-सज्जा आदि उनके सुधि मस्तिष्क के विषय हैं l अहि-निशि इसी जोड़-तोड़ में लगे रहते हैं ' जहाँ चाह है वहां राह है ' के सिद्धान्त का समक्ष रख आप अपने लक्ष्य प्राप्ति में संघर्षरत हैं l
            आपके भागीरथ परिश्रम से प्रसन्न हो माँ सरस्वती ने अपने प्रिय पुत्र को वरदान दे ही दिया फल स्वरुप दि. १-७-१९८५ को श्री 'रामअवतार महाविद्यालय' बुधौली को स्नातक स्तर के कला संकाय में हिंदी, अंग्रेजी, संस्कृत, समाज शास्त्र, राजनीतिशास्त्र, शिक्षा छै: विषयों के समूह हेतु चार सेक्सन खोलने की अस्थाई मान्यता प्रदान की गई है l गत वर्ष विद्वान प्रवक्ताओं के सहयोग से बी. ए. प्रथम वर्ष गरीब व हरिजन छात्रों को छात्रवृति एवं राजकी सहायता प्रदान की गई थी l
            इस महाविद्यालय में विद्वान प्रवक्ताओ, पर्याप्त कस्थोपकरण, पुस्तकालय एवं वाचनालय, क्रीड़ा एवं साज-सज्जा की समुचित व्यवस्था है l महाविद्यालय के प्रकृति सौन्दर्य से परिपूर्ण विशाल प्रागण , शीतल जल, सरम्य सघन तरु, छाँव एवं सुंदर लता अत्यंत मन मोहक है l
            अतः सम्पूर्ण क्षेत्रीय छात्र /छात्राओं एवं अभिभावकों से अनुरोध है की इस महाविद्यालय के माध्यम से उच्य शिक्षा का लाभ प्राप्त करें l इस महाविद्यालय में अपने बच्चो का प्रवेश कराकर उनकी प्रतिभा का सर्वागीण विकास कर उनका भविष्य उज्जवल करें तथा अपने समय एवं धन का सदुपयोग कर हमें अनुग्रहित करने की कृपा करें l

बी. ल. कटियार
(पूर्व प्राचार्य )
श्री रामअवतार महाविद्यालय
बुधौली-कानपुर (देहात)